जय जय शाकंभरी माता ब्रह्मा विष्णु शिव दाता, हम सब उतारे तेरी आरती |
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जय जय शाकंभरी माता ब्रह्मा विष्णु शिव
दाता,
हम सब उतारे तेरी आरती |
री मैया हम सब उतारे तेरी आरती |
संकट मोचनी जय शाकंभरी तेरा नाम सुना है,
री मैया राजा ऋषियों पर जाता मेधा ऋषि
भजे सुमाता |
हम सब उतारे तेरी आरती …………
मांग सिंदूर विराजत मैया टीका शुभ सजे है,
सुंदर रूप भवन में लागे घंटा खूब बजे
है |
री मैया जहां भूमंडल जाता जय जय शाकंभरी माता |
हम सब उतारे तेरी आरती …………..
क्रोधित होकर चली मात जब शुंभ निशुंभ को मारा,
महिषासुर की बांह पकड़ कर धरती पर दे मारा
|
मैया मारकंडे विजय बताता पुष्पा ब्रह्मा बरसाता |
हम सब उतारे तेरी आरती ……………
चौसठ योगिनी मंगल गाने भैरव नाच दिखावे |
भीमा भ्रामरी और शताक्षी तांडव नाच
सिखावें |
री मैया रत्नों का हार मंगाता दुर्गे तेरी भेंट चढ़ाता |
हम सब उतारे तेरी आरती ………….
कोई भक्त कहीं ब्रह्माणी कोई कहे रुद्राणी,
तीन लोक से सुना री मैया कहते कमला
रानी |
री मैया मां से बच्चे का नाता ना ही कपूत निभाता |
हम सब उतारे तेरी आरती …………
सुंदर चोले भक्त पहनावे गले मे सोरण माला,
शाकंभरी कोई दुर्गे कहता कोई कहता
ज्वाला री |
मैया दुर्गे में आज मानता तेरा ही पुत्र कहाता |
हम सब उतारे तेरी आरती………….
शाकंभरी मैया की आरती जो भी प्रेम से गावें,
सुख संतति मिलती उसको नाना फल भी पावे |
री मैया जो जो तेरी सेवा करता लक्ष्मी से पूरा भरता |
हम सब उतारे तेरी आरती …………
सुंदर भवन माँ तेरा विराजे शिवालिक की घाटी,
बसी सहारनपुर मे मैय्या धन्य कर दई
माटी |
री मैय्या जंगल मे मंगल करती सबके भंडारे भरती |
हम सब उतारें तेरी आरती ………………
नीलभवन तेरे मात भवानी सेवा करते तेरी,
मैहर सागडी उपर करदे अब क्यों लाई देरी
|
री मैय्या भवनों मे आप विराजें द्वारे पर नौबत बाजे |
हम सब उतारे तेरी आरती …………..
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